जाति उन्‍मूलन आंदोलन का तृतीय राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

प्रिय साथियों,
खुशी की बात ये है की तृतीय अखिल भारतीय सम्मेलन अगामी 31 अक्तूदबर और 1 नवंबर को 2015 को रायपुर मे आयोजित किये जाने का निर्णय लिया है। हम सभी संस्था ओं एवं सक्रिय व्यक्तियों से सहयोग की अपील कर रहे है। जो किसी न किसी रूप से इस मु‍हीम से अपने आप को जोडे हुये है। उनके सहयोग के बिना यह आंदोलन कामयाब नही हो सकता है।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथ
संजीव 
राज्य संयोजक जाति उन्मूलन आंदोलन छत्तीसगढ

जाति प्रथा भारत में एक कोढ की तरह है, लेकिन भारत का एक बलशाली वर्ग जाति को कोई समस्या नही मानता है। या ये कहे जान बूझकर समस्या मानने से इनकार करता है, इसके पीछे उसके निजी हित छिपे। इस कार्य में छदृम प्रगतिशील लोग भी लगे है। महंगाई, भष्‍टाचार को देश की सबसे बडी समस्या बताया जाता है पूरा मीडिया 24 धंटे इसी पर केन्द्रित रहता है, सही मुद्दे से ध्‍यान भटकाने की कोशिश है, इन सब की जननी जाति प्रथा को स्पर्श तक नही किया जाता है। इसके पीछे गहरी साजिश है। अब जरूरत इस बात की है की इसका पर्दाफाश किया जाय। ऐसे नकाब पोश लोगो के नकाब उतारा जाय जो जाति को संस्कृति पुराणो के बहाने बनाये रखना चाहते तो दूसरी ओर आधुनिक वैज्ञानिक होने का ढोंग रचते है। साथियो इस के मद्देनजर वृहद रूप में जाति उन्मूनलन आंदोलन की रूप रेखा बनाई गर्इ। केन्द्रीहय कमेटी का एवं राज्य कमेटी का गठन किया है। हमारे छत्तीसगढ में विगत 2 सालों से जाति उन्मूलन आंदोलन की राज्य इकाई सक्रिय है। गौर तलब है इसकी एक पत्रिका हिन्दी में जाति उनमूलनअंग्रेजी में ‘Cast Annihilation’ सफलता पूर्वक प्रकाशित की जा रही है। यदि आप जाति उन्मूलन आंदोलन में अपना सहयोग देना चाहते है तो हम आप का तहेदिल से इस्तेकबाल करते है। भारत में पिछले करीब दो दशकों से नव-उदारवाद का राज चल रहा है और इस दौरान उत्पीड़ित वर्गों और समुदायों, विशेष रुप से दलितों की हालत बद से बदतर होते गई है। नयी परिस्थितियों के अनुरुप अपने आपको ढालते हुए जाति प्रथा नये रुपों में कायम है।
कई दशकों के कठोर संघर्षों से उत्पीड़ित तबकों ने जिन जनवादी, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को हासिल किया था उसे निष्ठुरता के साथ छिन लिया गया है। आरक्षण से मिले अधिकारों को लगातार हल्का बनाया जा रहा है, जबकि सभी क्षेत्रों में हो रहे निजीकरण के कारण इसमें पहले ही भारी कटौती हो चुकी है। शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है, श्रम बाजार में काम कराओ और निकाल दोकी नीति के आधार पर ठेकेदारी प्रथा हावी हो गई है, देशी व विदेशी काॅरपोरेट घरानों और रीयल इस्टेट माफिया के लिए विस्थापन के चलते गरीब किसान अपने भूमि से वंचित होते जा रहे हैं, पुरुषवादी सत्ता और साम्राज्यवादी संस्कृति के कारण महिलाओं का समाज में जो थोड़ा-बहुत स्थान था वह भी खत्म होता जा रहा है। इसकी मार सबसे ज्यादा दलितों, आदिवासियों, तथाकथित अछूतों पर पड़ रही है जो तेजी से दरिद्रता के गर्त में गिरते जा रहे हैं। साम्राज्यवाद और उसके अनुचरों द्वारा अपने प्रभुत्व को चिरायु बनाए रखने के लिए धार्मिक कट्रपंथ को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
वर्तमान में साम्प्रदायिक ताकतों ने प्रत्येक क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम करने का प्रयास तेज कर दिया है। देश भर में सामाजिक रुप से उत्पीड़ित जातियों एवं वर्गों पर जातिवादी हमला बढ़ा है। हाल के दिनों में जातिवादी ताकतों द्वारा राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा आदि स्थानों पर दलितों के ऊपर हमले की अनेक विभत्स घटनायें हुई है। हिन्दुत्ववादी ताकतें एक तरफ तो अम्बेडकर को हथियाने की कोशिश में है, तो दूसरी तरफ आई.आई.टी. मद्रास के अम्बेडकर-पेरियार स्टडी सर्कलछात्र समूह पर प्रतिबंध लगाने जैसी दमनात्मक कार्यवाही भी करती है। साथ ही कॉरपोरेट राज के तहत् समाज के उत्पीड़ित तबकों पर ही इसकी मार सबसे ज्यादा पड़ रही है।
ऐसे परिस्थिति में देश व्यापी ’’जाति उन्मूलन आन्दोलन’’ खड़ा करने, हम सभी मेहनतकश देशभक्त जनता एवं प्रगतिशील ताकतों से सम्मेलन को सफल बनाने का आह्वान करते हैं।
जाति उन्मूलन आन्दोलन छत्तीसगढ़ संयोजक कमेटी
कार्यालय- सी 45, पानी टंकी के पास सेक्टर-1 शंकर नगर, रायपुर (छ.ग.)
प्रधान कार्यालय- सी 141 सैनिक नगर नई दिल्ली फोन- 011-25332343
ईमेल-.chattishgarh.cam@gmail.com.
संपर्क-मोबा.नं. 9977082331, 0589957708, 9425503987, 8959666036.

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